प्रश्न चिन्हों में उठी हैं
भाग्य सागर की हिलोरें
आंसुओं से रहित होंगी
क्या नयन की नमित कोरें
जो तुम्हें कर दे द्रवित
वो अश्रुधारा चाहता हूँ
मै तुम्हारी मौन करुणा का
सहारा चाहता हूँ
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