Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Saturday, February 20, 2010

"जरुर आना..."

बीत गया बचपन सारा
इन किताबों से मेरा मन हारा.
मैं रूठी...
बचपन रूठा
रूठा मेरा मन...
प्यारे बचपन
तुम वापस तो आओगे नहीं
पर समय से समय लेकर
मुझे अलविदा कहने जरुर आना
जरुर आना...
जरुर आना...
-Anonymous

No comments:

Post a Comment