यह चिड़िया गाते-गाते
चुप हो जाती है और
मौन में अपनी दुनिया बसाती है
क्या सच सुनाने के लिए भी दुनिया को सुनना होता है
यह चिड़िया उड़ते-उड़ते
खड़ी हो जाती है और
मुझे गोल-गोल घुमाती है
क्या दुनिया नापने के लिए अपने अंदर चलना होता है
यह चिड़िया चुगते-चुगते
मन के सारे दुख चुग जाती है और
पेड़ से अक्सर यह बुदबुदाती है
क्या शैतान परिंदों को भी महसूस अकेलापन होता है
हर बादल बरसने के लिए पैदा नहीं होता
हर बारिश फगुआ सा नहीं भिगोती
होली खेलने के लिए क्या जरूरी होली में जलना होता है
घोंसला लेकर उड़ने वाली
यह चिड़िया मुझसे पूछती है
क्या प्रेम करने के लिए प्रेम में बार-बार जलना होता है
pawan nishant
http://yameradarrlautega.blogspot.com
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