Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Thursday, October 6, 2011

ज्वलंत उदाहरण

असमानताओं की जगह है
कोई है स्वयंभू और कोई आश्रित
निराश्रित भी कई हैं यहाँ
परन्तु इस पल में सब हैं शांत!!

कोई बताएगा मुझे क्या वजह है
कोई है यहाँ और कोई वहां
बिना किसी छोर के भी, कई हैं यहाँ
और इन सबके बीच मन है विकलांत

कोई तो कहे- क्यूँ ये सजा है?
चारों ओर अँधेरा, कहीं है एक दिया
खुद को जलाये भी, कई बैठे हैं यहाँ
स्वयं से पूछूँ? क्या है इसका अंत...

रेलगाड़ी, क्या यही परंपरा है?
कभी तो गति और कभी गतिहीन
साथ कभी जीवन का भी, सुना था यहाँ
खुद से पूछो, उदाहरण है ज्वलंत!!

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