Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Tuesday, September 29, 2015

सहमा हुआ मुसाफ़िर...
A Lonely Traveller...

सहमा हुआ मुसाफ़िर, रुकने की फ़िराक में
जलता ही चला जाये, जिंदगी की आग में
उफनती हुई साँसें, काँपते से उसके होंठ
दो शब्द कह ना पाये, अपनी अंतिम रात में
सहमा हुआ मुसाफ़िर...

चक्रव्यूह था वो रण का कुछ ना आया हाथ में
सर्वस्व खो दिया था, उसने इसी संताप में
भर गयी थी आँखें, नरम अश्रुओं के कारण
क्या था उसने लाया जो ले जाता साथ में
सहमा हुआ मुसाफ़िर...

वो भीगता ही रहता, हर बरसात में
वो टूटता ही रहता अपनी हर बात में
उसका हृदय था खाली कुचला हुआ घरौंदा
वो यहाँ वहाँ भटकता, जाने किसकी तलाश में
सहमा हुआ मुसाफ़िर...

नहीं हारता था फिर भी इसी विश्वास में
विजय उसे मिलेगी चाहे अज्ञात में
उसका सत्य था उस सा नीर से भी निर्मल
वो बंधा हुआ था जिसके मोहपाश में
सहमा हुआ मुसाफ़िर...

-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

Saturday, September 26, 2015

सही-गलत
Right or Wrong

गलत, गलत है
कभी सही नहीं हो सकता
चन्दन, सैकड़ों सर्पों के लिपटे होने पर भी
अपनी महक, अपनी शीतलता नहीं खो सकता
हाँ मैंने कुछ गलत सही होते हुए देखे हैं
हाँ मैंने कुछ सजीव सपने मरते हुए भी देखे हैं
कुछ तो वजह रही होगी उनकी इन दशाओं की
नियति बिना तो एक सूखा पत्ता भी नहीं सो सकता

सही, सही है
कभी गलत नहीं हो सकता
ये जीवन सागर एक रंगमंच है
मृत्यु बिना पूरा नहीं हो सकता
किरदार बहुत हैं यहाँ निभाने के लिए
कुछ तो खोने के लिए और कुछ पाने के लिए
कुछ तो वजह जरूर छिपी होगी कहीं, इन्हें खोने की फिर पाने की
कोई सब कुछ हरदम यहाँ यूँ संजो नहीं सकता

-Snehil Srivastava
Picture credit: Unknown
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© Snehil Srivastava

Wednesday, September 23, 2015

Unhealed

My broken heart is not going to heal
Let it be
This pain is not going to go away
Let it be.
I don’t need that pastry
I don’t want that sympathy
All I want is to
Let it be.

I know all the reasoning
I know all the things I’m supposed to feel
I’ve read all the books that tell me
Time will make it heal…
But for now, all I want is to
Let it be.

I don’t want to move on
I don’t want to linger back
I want to hold on
But I know the truth.
Nothing is going to change
Nothing is going to improve
So for now, all I want is to
Let it be.

I’ve tried and tried
To fight all the negativity
I’ve prayed and prayed
For all that strength
I’ve wished and wished
For life to be better
And I know I have to just
Let it be.

It’s a done deal
We know in our heart of hearts
It’s sad but a true thing
That our lives are drifting apart
I can’t say any more
There’s already so much said
So all we can hope for..is to
Let it be.

I promise you this
I will always love you
I promise you this
You can count on me
I’m not the best at goodbyes.
I’m not good at all
So let’s not call this what it really is
Let’s for now
Let it be.

-Anonymous
 Picture credit: A known painter
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Wednesday, September 16, 2015

धुंधली यादें
Childhood Memories

मुझे मेरे बचपन की धुंधली यादों की याद आती है
जब बारिश में भीगती मिट्टी की सोंधी सोंधी महक होती थी
और कागज़ की नाव जैसे मीलों तैर जाया करती थी
मुझे आज भी माँ की थपकी से गहरी नींद आ जाती है

मुझे मेरे बचपन की धुंधली यादों की याद आती है

हम छतों पर सोया करते थे, तारे गिना करते थे
नानी दादी की कहानियों में राजा रानी हुआ करते थे
उनकी वही मीठी आवाज़ मन के भीतर कहीं गूँज जाती है

मुझे मेरे बचपन की धुंधली यादों की याद आती है

सावन में झूले होते थे, हम सारे के सारे गम भूले होते थे
पिता की गोद में उठते ही हम नीला आसमां छू लेते थे
तबकी मुश्किलें आज की खुशियाँ कहलातीं हैं

मुझे मेरे बचपन की धुंधली यादों की याद आती है

काश वो धुंधला बचपन फिर से लौट आता
आँखों में बसे सपनों की सतरंगी चादरें बिछाता
ये इतनी प्यारी यादें हमसे दूर क्यों चली जाती हैं
मुझे मेरे बचपन की धुंधली यादों की याद आती है

-Snehil Srivastava
Picture credit: www.covermaker.net
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Monday, September 7, 2015

टूटते सितारे
Incomplete

सुकून ना था, मोहब्बत ना थी
जब तक मेरे दिल में तेरी आहट ना थी
वो दौर और था जब मैं अकेला हुआ करता था
और मुझमें तेरा हो जाने की चाहत ना थी
मैंने मंज़र देखे थे अपनी ही मौत के कई दफ़ा
मुझमें ख्वाबों से बाहर आने की हिम्मत ना थी
टूटते सितारों को देखा था खुले आसमानों में
उन्हें फिर से सितारे बनते हुए देखने की ज़िद ना थी
हसरत बहुत थी, तुम्हारी बस एक खनक सुनने की
तेरी आँखों में बसे ग़मों जैसी कसक ना थी
उस दौर में मुझे लोगबाग मिले, मिलते ही रहे
किसी एक में भी तेरे साये सी जन्नत ना थी
तिनकों का बना शहर मेरा बिखरता ही रहा
पहलू में समेट लेने की मुझमें ताकत ना थी
तुम, तुम्हारी मोहब्बत, वो सुकून खो गया कहीं अब
मेरे दरवाज़े पर बरसों से कोई दस्तक ना थी

-Snehil Srivastava
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टूटी कश्तियाँ
The Broken Boat

एक तूफ़ान हुआ करता था यादों के गहरे समन्दर में पर टूटी कश्तियाँ किनारे तक पहुँच जाया करती थीं थपेड़े लगा करते थे हर पल, हर छिन वो उनसे भी गहरी, गहरी चोटें खाया करती थीं पर टूटी कश्तियाँ किनारे तक पहुँच जाया करती थीं आसमान से गिरती बिजलियाँ उन्हें दर्द दिया करती थीं वो कश्तियों के टूटे शरीरों को और तपाया करती थीं पर टूटी कश्तियाँ किनारे तक पहुँच जाया करती थीं एक रोज़ गहरा समन्दर कश्तियों से बोला- तुम हार जाओगी वो उसकी इन्हीं बातों पर बस मुस्कुराया करती थीं पर टूटी कश्तियाँ किनारे तक पहुँच जाया करती थीं उनका 'वक़्त' साथी था, हर वक़्त साथी था वो उसकी खुली बाहों में सो जाया करती थीं पर टूटी कश्तियाँ किनारे तक पहुँच जाया करती थीं जज़्बा था उनमें बढ़ने का, वो रुका नहीं करती थीं झुलसे हुए पतवारों को बेख़ौफ़ चलाया करती थीं पर टूटी कश्तियाँ किनारे तक पहुँच जाया करती थीं हाँ दर्द था, रिसता खून उनका सर्द था वो उन्हें देख देखकर जाने कहाँ खो जाया करती थीं पर टूटी कश्तियाँ किनारे तक पहुँच जाया करती थीं हर चोट, हर दर्द को उन्हें सहना ही था इसीलिए वो अपना लक्ष्य पाया करती थीं और टूटी कश्तियाँ किनारे तक पहुँच जाया करती थीं


-Snehil Srivastava
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Saturday, September 5, 2015

अंदाज़-ए-बयां
Pouring Heart Out

मेरा अंदाज़ा ये है
कि तुम हो मैं हूँ और ये सारा जहां है
मुझे बस ज़रा सा दुःख है
कि इसे बताना कहाँ है
तब फ़िज़ाओं में भी शफ़ा थी
जब तुम्हें, मैंने खुद को कहा था
तुमपर बेज़ार किया था
याकि तुमपर निसार किया था
मुझे बताना नहीं आया
तुम्हें जताना नहीं आया
सब कुछ तो आया
मुआ प्यार नहीं आया

-Snehil Srivastava
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मुहाजिर
Self Ousted

Dedicated to everyone who left their homes to build their own - Irony!
क़द्र नहीं अच्छाई की इस 'सूने' शहर में
जुबां पे ना सही अच्छाई तो होती इस दिल--ज़िक्र में
शहर से शहर, गाँव से गाँव घूम आया वो अदना मुसाफिर
ना भीख मिली, दिल भी गया- कासा भी खोया जाने किस फ़िक्र में

लाज़मी है कि वो लोग कुछ और रहे होंगे
मांगने बांटने के तरीके भी कुछ बदले जरूर रहे होंगे
शहरों के सूनेपन मुसाफिरों की भीड़ से यूँ तो नहीं बढ़ जाया करते
कुछ टूटे सपने रहे होंगे कुछ छूटे अपने रहे होंगे
(waiting for some more lines to write upon)
-Snehil Srivastava
 Picture credit: (none)
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© Snehil Srivastava