Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Wednesday, September 16, 2015

धुंधली यादें
Childhood Memories

मुझे मेरे बचपन की धुंधली यादों की याद आती है
जब बारिश में भीगती मिट्टी की सोंधी सोंधी महक होती थी
और कागज़ की नाव जैसे मीलों तैर जाया करती थी
मुझे आज भी माँ की थपकी से गहरी नींद आ जाती है

मुझे मेरे बचपन की धुंधली यादों की याद आती है

हम छतों पर सोया करते थे, तारे गिना करते थे
नानी दादी की कहानियों में राजा रानी हुआ करते थे
उनकी वही मीठी आवाज़ मन के भीतर कहीं गूँज जाती है

मुझे मेरे बचपन की धुंधली यादों की याद आती है

सावन में झूले होते थे, हम सारे के सारे गम भूले होते थे
पिता की गोद में उठते ही हम नीला आसमां छू लेते थे
तबकी मुश्किलें आज की खुशियाँ कहलातीं हैं

मुझे मेरे बचपन की धुंधली यादों की याद आती है

काश वो धुंधला बचपन फिर से लौट आता
आँखों में बसे सपनों की सतरंगी चादरें बिछाता
ये इतनी प्यारी यादें हमसे दूर क्यों चली जाती हैं
मुझे मेरे बचपन की धुंधली यादों की याद आती है

-Snehil Srivastava
Picture credit: www.covermaker.net
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© Snehil Srivastava

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