Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Thursday, October 29, 2015

'आज'
Today and everyday

आज कहीं खून का एक कतरा नहीं बहा
ना ही कहीं किसी मासूम की मौत हुई
आज कहीं कोई भूख से बिलखता नहीं दिखा
ना ही कहीं किसी लड़की की इज्जत लूटी गयी
आज कहीं किसी माँ का दिल नहीं दुखा
ना ही किसी पिता की नज़रें शर्मसार हुईं
आज हर कोई अच्छा इंसान बन गया
आज किसी ने किसी की बुराई नहीं की
आज नेताओं ने भी देश का सम्मान किया
कहीं भी गन्दी राजनीति नहीं हुई
आज सीमा पर कोई सैनिक शहीद नहीं हुआ
और दुश्मन देशों के बीच खिंचीं लकीरें मिट गयी
आज निष्कलंक रही धरती की धुंधली सुबह
आज कहीं कोई काली रात नहीं हुई

आज यही सुहावना सपना मैंने फिर देखा
और मेरे आँखों से नमी बस बहती चली गयी


-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

Tuesday, October 27, 2015

Half-Truth

"A few seconds ago I got to know, the mask of happiness that you are wearing, is freaking lie. There is so much dirt hidden behind it. Dirt of pain. I can smell it. The gesture that you gave me today and the glance that I returned you in its answer, were talking posthumously when we were not bothering about each other's existence.
Well, I must say our loved ones tell us undiscovered reality of life and people. They think, they are protecting you; because you are and will always be a child to them. They are no wrong in it. Loved ones usually do that. Even I have done it, those were not many. But you have got your own mind. You have got your own self. Half-truth is never a truth. Half-truth is a whole lie. You better be the real you. Who smiles no matter what. Who laughs on tiny little things. And dearly irritates me sometimes.
One day I was sitting alone there in the darkest night of my life. What I saw, a ray of hope. I wanted to hold it tight that it might never left my side. I picked my phone, wiped my tears; those were warm, you know. And I did not call my father. I wanted to hug him tight. It stays with me till now.
So what I am saying is, don't trust me. Don't do good to me. And don't become me.
But I don't wear mask. Never, when I am with you. And that is my truth."

Those half burned letters are the only treasure she has now. She took her time which he never had. She loves him now, he loved her forever.

-Snehil Srivastava
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रात और कुंहुक
Night's Tale

कुंहुक सी उठती है
कभी झपकी, तो कभी अधखुली आँखें
और उनमें तैरते अनगिनत ख़याल
अँधेरे को अपनी सांसों से टटोलना
कि ये भी कभी रौशनी सा चमकता रहा होगा
रात की महक
आँखों से बहती ख़ुशी
मेरी उँगलियों के रूखेपन से मिलकर
इस पल में समाये जा रहे हैं
ये कहीं कोई सपना तो नहीं
यदि है, तो तू सच हो जा
इस तिलिस्म के सारे राज़ मुझसे बता
और यदि तू सपना नहीं है
तो इन श्रृंखलाओं पर विराम मत लगा
तू बस यूँ ही चलता जा
तू बस यूँ ही चलता जा
ये कुंहुक इस रात सी शांत ही जायेगी

-Snehil Srivastava
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Saturday, October 24, 2015

जरुरी तो नहीं
Not Important...

मैंने बहुत से सवालियों को चुपचाप सा देखा है
मेरी हर बात के कुछ मायने हों जरुरी तो नहीं
मैंने उनको यूँ ही बेवजह हँसते हुए भी देखा है
मैं हर ग़म में ग़मगीन रहूँ जरुरी तो नहीं
मेरे दुश्मनों की फेहरिस्त में एक नाम मेरा खुद का भी है
मुझे फ़िक्र हो हर एक की जरुरी तो नहीं
यहाँ हर रोज कोई न कोई चला जाता है दूर कहीं
मुझे भी इस जिंदगी से रंज हो जरुरी तो नहीं
यहाँ बिखरे हैं ख्वाबों के टुकड़े हर तरफ
मैं अब नींद से भी डरने लगूँ जरुरी तो नहीं
मैंने भी दुआएं मांगी हैं कुछ वजहों के जानिब
मेरा हाथ उठे तो क़त्ल ही हो जरुरी तो नहीं
मुझे भी दिख जाता है सही गलत का बारीक फ़रक
मैं हर गलत को सही कहूँ जरुरी तो नही
मेरे सीने में भी है आगों का बहता समंदर
मैं पानी के अदने समंदर में डूबा ही रहूँ जरुरी तो नहीं


-Snehil Srivastava
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एक सच्चा झूठ
One Truthful Lie

अब फटी एड़ियां मुझे खूबसूरत नहीं लगतीं
पहले माँ के पैरों को छूना मेरी आँखे नम कर देता था
अब बारिश से भीगती मिट्टी कीचड़ बन मेरे मन को और गन्दा कर रही है
जो मिट्टी कभी बारिश की एक बूँद से सोंधी हो जाया करती थी
अब किसी भिखारी को देखकर मुझे तरस तक नहीं आता
जिसे पहले कभी देखते ही करुणा जाग जाती थी
जानवर तो मुझे जानवर लगने लगे हैं
जिनको कभी मोती, तो कभी शेरू बुलाया करते थे
अब गुड़ की मिठास भी बीमारियों का घर लगती है
जिसकी कभी गुड़-धानी हुआ करती थी
किसी के आगे झुकना अब चाटुकारिता बन गया है
पहले तो चरण छूने पर आशीर्वाद मिला करते थे
खेतों से नानी ताजी मीठी बालियां भेजती थी
नानी जाने कहाँ हैं बालियां भी कहीं खो गयी सी लगती हैं
चूल्हे की रोटी हांड़ी की दाल हुआ करती थी
उसी चूल्हे पर जली सूखी लकड़ी कोयला बन आज भी शान्त पड़ी है

बस एक प्रश्न है-
क्या तब मैं संवेदनशील था
या अब मैं संवेदनहीन हूँ?

-Snehil Srivastava
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एक और बिस्मिल
Another Bismil...

तेरे हर फ़क्र पर मुझको शर्मिंदगी महसूस होती है
तू क़ौम का क़ामिल है मैं वतन का बिस्मिल हूँ

तुम्हारी हर खुदाई पर खुदा नाराज़ होता है
मेरे बस सांस लेने से वो सजदे में रहता है

तुम्हारी मौत पर उसको हंसी भी नहीं आती
मेरे जर्रे-ए-वतन पर शिकन आये वो फूटकर रोता है

इतना ही समझ लेते ये दुनिया और होनी है
जो वतन पर जीता है उसका खुदा होता है

चलो एक बार देखें हम तुम्हें कितना गुमां है खून बहाने पर
हमारे यहां तो पेड़ो का रंग भी हरा होता है

जिनसे हम सांस लेते हैं जिन्हें हम काट देते हैं
खुदा भी आज देखे इंसान कितना बुरा होता है

छोड़ो भी ये तकरारें चलो कुछ शेर कहते हैं
क्या पता खुदा वहाँ मसनद लगाये बैठा है

तेरे हर फ़क्र पर मुझको शर्मिंदगी महसूस होती है
तू क़ौम का क़ामिल है मैं वतन का बिस्मिल हूँ

-Snehil Srivastava
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Tuesday, October 6, 2015

तिनके की कहानी
Whit words

पानी में तैरता तिनका
हवाओं संग अठखेलियां करता तिनका
आँखों में पड़ा तिनका
मिट्टी में मिला तिनका

सन्दर्भ कई रूप वही
सर्वस्व मिथ्या, केवल तिनका सही

अपने अस्तित्व को संजोता
यहां वहां भटके किन्तु नहीं रोता

खुरदुरा सा, कभी चमचमाता
तो कभी नरम धूलि सा धूमिल हो जाता

मुख मौन सदा रहता
अंतर्मन से सबकुछ कह देता

क्रोध रुपी तिनका
करुणामयी तिनका
तुझपर अर्पित तिनका
कितना है विस्तृत तिनका


-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

Sunday, October 4, 2015

I'm a liar, believe me!

I'm a liar, believe me.
I have talked to stones.
They caress me. They listen to me, for long.
I have a strange connection with grass.
She beautifies me. I love walking on her. It feels so strong.
I'm so blissful that I know how warm snow can be.
When I touch him, my heart melts with him.
It seems like he is singing my own songs.
I like staring at night. She tells me to be with her for all the coming times.
We have created a really strong bond.
My incompleteness completes me. She is the greatest happiness in me.
She corrects me and tells me where have I been wrong.
What is not me is becoming me, what is not me cannot become me.
I believe she's become me.
And knows in real where do I belong.
But, I'm a liar. Believe me.

-Snehil Srivastava
 Picture credit: www.soupforthesoul.co.in
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© Snehil Srivastava