Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Friday, January 15, 2010

"बात बचपन की"- You, My childhood...

तू एक दर्पण है
तुझे छुने का मन है
जब छुता हूँ इस दर्पण को
लगता है, खुद को है छु लिया
जितनी भी रह गयी थी ज़िंदगी अधूरी
उन पलों को बंद आँखों से, सपनों मे जिया
एक एहसास है, तू इस दर्पण से बाहर आ जाए
मैं तेरा हो जाउ और तू मेरा हो जाए
तुम बस आ जाओ पास तो
एहसास ये अनुभूति बन जाएगा
यदि तुम ना भी आओ
एहसास ये, मेरी हर सांस मे समा जाएगा

तू मेरा मन है
एक प्यारा सा बचपन है
जब छूता हू इस मन को
लगता है, जैसे बचपन को है छु लिया
मेरा ये बचपन लौटा दो
जिसे मैने अपना मन दे दिया
एक एहसास है, तू इस मन से ना जाए
तेरा हर गम बस मेरा सा हो जाए
तुम ना जाओ दूर तो
एहसास ये खुशी बन जाएगा
यदि तुम दूर हो भी जाओ
एहसास ये, आँखों की गीली सी हंसी मे समा जाएगा

तू एक जीवन है
तुझे जीने का मन है
जब जीता हू इस जीवन को
लगता है, तुझको है जी लिया
जितनी भी रह गयी थी खुशियाँ अधूरी
उन खुशियों को नम आँखों से है जिया
एक एहसास है, तू इस जीवन को कहीं दूर ले जाए
जिससे ये फिर कभी, किसी का ना होने पाए
तुम बस हो जाओ मेरे तो
एहसास ये ज़िंदगी बन जाएगा
यदि तुम ना भी हुए मेरे
एहसास ये, बंद आँखों का सपना रह जाएगा

तू मेरा वचन है
तुझे निभाने का मन है
जब निभाता हू इस वचन को
लगता है, क्यूँ खुद को ना बदल लिया
जितनी भी रह गयीं थी बातें अधूरी
उन बातों को अनछुआ ही रहने दिया
एक एहसास है, तू इस वचन को खुद ही तोड़ दे
और मुझको खुद के अस्तित्व से जोड़ दे
तुम बस निभा जाओ
एहसास ये हंसी बन जाएगा
तुम ना भी निभा पाओ
एहसास ये, झूठा-सा-सच रह जाएगा

6 comments:

  1. are wah mere sweet fren tmne to bahut bahut hi acha likha hai.......mje bi seekhna hai likhna heheheh........

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  2. wow bhaiya,,,,,,,,,,,,,
    kaise likh lete ho,,,,,,,,
    itni pyaari pyaari poems,,,,,,,,,,,,,
    bhut swt hain,,,,,,,,,,,
    soch rhi thi apse kuch tips le lu poems likhne ki

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  3. sunder ahsaas aur bachapan uske to kahne hi kya..sabka pyara bachpan kaash ey kabhi na jata

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