Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Saturday, June 20, 2009

प्रश्न चिन्ह?

प्रश्न चिन्हों में उठी हैं
भाग्य सागर की हिलोरें
आंसुओं  से रहित होंगी
क्या नयन की नमित कोरें
जो तुम्हें कर दे द्रवित
वो अश्रुधारा चाहता हूँ
मै तुम्हारी मौन करुणा का
सहारा चाहता हूँ
-Anonymous

Friday, June 12, 2009

..."MY FRIEND"...

My friend, i send u the smile
My gem, be there throughout my life.
You are a peerless pearl for me
Whether life act as an enemy.

When I smile, I wish you too
When you cry, I wish you don't do.
When we fight, it shows a glimpse of satisfaction
All these thoughts, you know God's creation...

Wednesday, June 3, 2009

मुश्किल है...


".....मोहब्बत का इरादा अब बदल जाना भी मुश्किल है,
तुझे खोना भी मुश्किल है, तुझे पाना भी मुश्किल है.
जरा सी बात पर आंखें भिगो के बैठ जाते हो,
तुझे अब अपने दिल का हाल बताना भी मुश्किल है,
उदासी तेरे चहरे पे गवारा भी नहीं लेकिन,
तेरी खातिर सितारे तोड़ कर लाना भी मुश्किल है
यहाँ लोगों ने खुद पे परदे इतने डाल रखे हैं,
किस के दिल में क्या है नज़र आना भी मुश्किल है,
तुझे ज़िन्दगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली
पर एक पल के लिए तुझे भुलाना भी मुश्किल है......"
                                                              By- Anonymous 

Tuesday, June 2, 2009

सपना कैसा...?


पता नहीं क्यूँ?मै नहीं जानता वो कौन था ?
घर में घुसते ही उसने माँ से, भाई से, किसी एक और से पूछा- कैसा दिख रहा हूँ मै ?
फिर वो मेरी ओर बढ़ा, पास आया, अपने प्रश्न को दोहराया. 
मैंने आँखे उठाईं, देखा. उसने धारीदार सूट पहेन रखा था, स्लेटी रंग का. 
सफ़ेद शर्ट  की बाहें कोट की बाहों से बाहर निकल आई थीं.
मुझे लगा वो मेरा भाई है जबकि घर में सबसे बड़ा मै हूँ.
वो बहुत सुन्दर दीख रहा था.
जाने कैसे मेरे मुह से निकला-" भैया आप वो नहीं हो जो बनने की कोशिश कर रहे हो."
ऐसा कहते हुए घुटन सी होती रही मुझे और मेरी आंखे भर आयीं.
     ऐसा होता है या नहीं, पता नहीं! सपनों में कोई अपना?
उसके लिए अकारण या शायद किसी कारण से ही आँखों में आंसू आना!
मेरी नींद टूट गई. मै रो रहा था, पता नहीं क्यूँ...?

...म्हारे को म्हारे सासुरे भेज दो...

मुझे मेरे ससुराल भेज दो
वहां ये मेरा हाल भेज दो
माँ का रोना अब देखा नही जाता
पिता का खिलौना अब टेका नहीं जाता
मुझे अब उन दूजे फूलों की सेज दो
मुझे मेरे ससुराल भेज दो


भैया से लडाई अब याद आती है
गुड्डे गुडियों की सगाई अब याद आती है
देखो भैया मुझे फिर रुलाता है
फिर प्यार से छुटकी बुलाता है
इन सारी बातों को कहीं सहेज दो
मुझको मेरे ससुराल भेज दो

जब मै मेरे ससुराल जाउंगी
इन बातों को ना भूल पाऊँगी
सबकी मुझको याद आएगी
सोने पर भी नींद ना आएगी
माँ...! तुम मुझे अपना सा तेज दो
मुझे मेरे ससुराल भेज दो...

Saturday, May 30, 2009

"याद एक शब्द है..?"


"याद एक शब्द है याद है एक एहसास,
आज है बहुत दूर कल था कितना पास.
यादों  को याद करने से आँखों में आंसू और होंठो पे हँसी है
ज़िन्दगी तब तो रुकी थी पर आज क्यों रुकी है ?
आंसू से यादों को भूलने का मन करता है

हँसी से दिल उन्हें फिर याद करता है
अब ना हँसना है ना रोना है

ना यांदें बनाना है ना उन्हें खोना है

पर इसके लिए कुछ यांदें होनी चाहिए
होंठों पे आंसू और आँखों में हँसी होनी चाहिए

बांते वही पहुँचीं हैं जहाँ से शुरू हुई थीं
अब आँखें नम हैं तब क्यूँ धुली थीं ?
सब कहते हैं 'स्नेहिल' सोचता बहुत है रोता बहुत है,
पर वो जब भी हँसता है खोता बहुत है
इस सोच में संतुष्टि और रोने में ख़ुशी है
पर ये यांदें इतना दर्द क्यूँ देती हैं ?"

Saahil

तमन्ना है मेरी
हर आरज़ू  पूरी हो तेरी,
चाहे आरज़ू  मेरी
हमेशा रहे अधूरी.
साहिल तो 'साहिल' है
हमेशा वही रहेगा..
जब भी तुम पास आओगे
तुम्हारे पैरों को छुएगा.
पर तुम्हें
शायद कुछ और ही मंज़ूर है,
और साहिल
अपनी आरजू से दूर है...
पर साहिल और आरजू की दोस्ती
थोड़ी अजीब है,
वो कल भी करीब थे और
आज भी करीब हैं...

"एक ख्वाब था"

"एक ख्वाब था एक सोच थी 
एक बूँद थी ओस की;
ख्वाब में वही तुम थी
बांते थीं मेरे मन की 
मन से तेरे प्यार था
हांथों में माँ सा दुलार था 
ढेरों अधूरे सवाल थे
उत्तर जिनके विशाल थे
अब ! ना ख्वाब हैं ना सोच है
आँखों में गर्म ओस है,
सच में तुम नहीं हो
या शायद तुम वही हो
मन से सब तेरा है
तेरी मौन करुणा पर हक मेरा है 
सामने सारे जवाब हैं
एक अधूरे प्रश्न का एहसास है...!!"

दो दोस्त...


"....दो दोस्त 'हँसी' और 'ज़िन्दगी' 
जब मिले दोनों चुपचाप थे;
फिर भी दोनों साथ थे
ज़िन्दगी को जीना हँसी ने सिखाया,
हँसी को हँसना ज़िन्दगी से आया
ऐ- दोस्त ज़िन्दगी !!
हँसी ने कहा-
ज़िन्दगी तुम जी भर जियो
अब ज़िन्दगी से भी रहा ना गया,
बोला-
हँसी तुम सदा ऐसे ही हँसती रहो
दोनों एक दुसरे को सोच रहे थे,
और अपने लिए दोनों ही चुप थे
ज़िन्दगी के मायने कहाँ छुपे हैं
वो चल रहे हैं या कहीं रुके हैं
हँसी भी हँसना भूल सी गई है
वो नम आँखों से हँस सी रही है
दो दोस्त हँसी और ज़िन्दगी