Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Sunday, November 9, 2014

किन्तु संपूर्णता Innocent Night

मुझे इस रात का साथ
संपूर्णता के अस्तित्व से
साक्षात्कार कराना चाहता है
वो चाहता है कि मैं
और मेरा अहम्
शुन्य में विलीन हो जाये
परंतु कहीं दूर से आती
इस किरण के निमित्त
शून्यता सहम उठती है
उसकी करुणामयी आँखें
अवसर पाकर
अश्रु आभूषणों से
स्वयं का श्रृंगार करने लगती हैं
सजावट रुपी मिथ्या
किन्तु विराट स्वरुप, भी
रात का साथ पाकर
प्रसन्न हो उठा है
सहज ही इस श्रृंगार की कान्ति
और भी मनमोहक लग उठती है
रात की कालिमा
अभी गतिमान है
और मैं गतिशील
किसी अन्य पूर्णता की ओर
निश्चिन्त!
किन्तु संपूर्णता
रात में है,
गहरी, काली, अधीर हुई रात में

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© Snehil Srivastava

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