Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Saturday, December 31, 2016

'तुमसे मिलकर'
Lost Journey, Past Journey

जुदा हूँ मैं अब इस जहाँ के रंजोगम से
यहाँ लोग हँसते हैं, रोते है, चले जाते हैं।

मेरा सामना बस एक बार ज़िन्दगी से हुआ है
सच जानो, जिंदगी से मिलने वाले ही जिंदगी को जान पाते हैं।

तुमसे मिलकर मैंने हंसना सीखा, रोना भूल ही गया
अब गम नहीं ग़र तेरे मेरे रास्ते बदल जाते हैं।

मंज़िल एक ही है ये तू जानता है, पता मुझे भी है
बस बीते सफर के कुछ पल याद रह जाते हैं।


-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

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