Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Sunday, September 2, 2012

जीतना है श्रीराम तुमसे...I will win, God...

क्या ये गलत है
कि मुझे विश्वास है अपनी जीत का
हारना तो नियति थी
पर मुझे आस है अपनी प्रीत का|
उस गर्भ में छिपा रहस्य
नहीं जानना मुझे
लड़ना पड़ा, तो लड़ जाऊंगा
हे राम! तुझसे|
कहा था तुमने दोगे मेरा साथ
हर तपती राह पर
और रखोगे सर पर हाथ
मेरी हर आह पर|
वचन तुम्हारा क्यूँ धूमिल हुआ
क्यूँ मौन हो प्रभु राम तुम
शक्ति नहीं थी तुममे, तो कह देते
मैं इंसान हूँ, और भगवान् तुम?
भय नहीं मुझे तुमसे
परख लो धैर्य मेरा, हे धैर्यवान!
हारना नियति रही होगी
अब जीतना है मुझे तुमसे श्रीराम|
कोई राह नहीं, कोई चाह नहीं
घने अँधेरे की कोई थाह नहीं
थोडा मद्धम तो होता हूँ, पर
लौटने की दिखती कोई वजह नहीं|

No comments:

Post a Comment