Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Saturday, September 29, 2012

वो यादें...Those Memories...






कितना अनोखा सा था, वो तुम्हारा यूँ मुस्कुराना
आँखों ही आँखों में दिल की हर बात कह जाना
तुम्हारा मुझे बेफिक्री में गले लगाना
हौले से मेरे हर गम को ख़ुशी बनाना

तुम्हारा दूर जाना इतना अखर क्यूँ रहा है मुझे
फिर से करीब आ जाओ तुम मेरे
उन्हीं खुशियों का साथ फिर से होगा
तमन्नाओं से ये दिल फिर महकेगा

तुम्हारे हाथों की नरमी अब भी बाकी है मुझमें
याद हैं मुझे साथ खायी सारी कसमें
इस अनोखे से  एहसास में ये कैसा खालीपन है
तेरी खुशियों से जुड़ा अब सारा जीवन है

तुम्हारी गोद में सर रखने को जी चाहता है
बंद आँखों से ये सपना जीने को जी चाहता है
सपनों में मुझसे तू हज़ार बातें कहती है
दूर है मुझसे पर मेरे साथ ही रहती है



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