असर हुआ बेअसर
वक़्त के आख़िरी पन्नों तक आते आते
हर पन्ने की महक
मुझसे बोली एक ही बात शरमाते शरमाते
बड़े करीने से सजाया था
शायर ने हर लफ्ज़ कोरे कागज़ पर
जब स्याही हुई थी खत्म
तब लिखी थी वो नज़्म आंसुओं का सहारा लेकर
वक़्त के आख़िरी पन्नों तक आते आते
हर पन्ने की महक
मुझसे बोली एक ही बात शरमाते शरमाते
बड़े करीने से सजाया था
शायर ने हर लफ्ज़ कोरे कागज़ पर
जब स्याही हुई थी खत्म
तब लिखी थी वो नज़्म आंसुओं का सहारा लेकर
कई बार जला था वो
उस असर की तपिश में भीगकर
हम थे गोया कोरे कागज़
क्या कर सकते थे सिर्फ मेहक कर
उसके लफ़्ज़ों का नमकपन
आज भी असरदार है हर शख्स में
वो तो अब फ़ना हुआ इस वजह
पर जिंदा है मेरे हर अक्स में
उस असर की तपिश में भीगकर
हम थे गोया कोरे कागज़
क्या कर सकते थे सिर्फ मेहक कर
उसके लफ़्ज़ों का नमकपन
आज भी असरदार है हर शख्स में
वो तो अब फ़ना हुआ इस वजह
पर जिंदा है मेरे हर अक्स में
Picture Credit: http://www.bedlamfarm.com/2013/10/16/poem-last-leaf-re-visited-will-he-choose-to-fall/
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© Snehil Srivastava