Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Thursday, January 21, 2010

"कोई और...?"

सपनों में कोई अपना नहीं होता इसलिए सपना केवल सपना नहीं होता है. सपनें हमारे अंतःकरण में छिपे कोरों का दर्पण होते हैं, मौन दर्पण...
     
     रिक्शे पर दिशा बैठी हुई है, फ़ोन पर माया से बांतें कर रही है. साथ में साहिल चल रहा है, साइकिल पर यानी मैं. बांतें मेरी हैं और बात दिशा कर रही है ?
दिशा- "और कैसी हो, कब आओगी ?"
माया- "ठीक हूँ, बढ़िया है सब, जल्दी ही !"
रहा नहीं गया साहिल से.
"मुझे दो फ़ोन, मैं बात करता हूँ"- साहिल बोला.
साहिल- "हाँ.. क्या हाल हैं ?
माया- "मैं ठीक हूँ, १७ को जाना है."
साहिल- (अरे)
लगा तो कुछ लेकिन...!!!
माया- "तुम कैसे हो?"
साहिल- "मै अच्छा हूँ."
माया- और...दोस्त...!!!
साहिल- "तुम ? मुझे लगा मैं माया से बात कर रहा हूँ, तमन्ना तुम?"
तमन्ना- "हाँ दोस्त, तमन्ना."
'जैसे कुछ मिल सा गया, या शायद कुछ खो गया'- साहिल सोचता रहा और फ़ोन कट गया...

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