Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Sunday, January 17, 2010

'For my dear Friend'...- "काजू"

तुम दोस्त हो, सच में
नहीं बताना है दुनिया को
ना ही खानी हैं कसमें
जब मिले थे हम पहली बार
न सोचा था कुछ
और ना ही किया था कोई विचार
ना की थी कोई बात
ना ही होना था बरसों का साथ


फिर से हम मिले
फिर से की दोस्ती
और कुछ दूर साथ चले


अब एक साथी के आने से
रास्ते कुछ अलग से हुए हैं
पर शायद ज़िन्दगी के कुछ पन्ने
अभी भी अनछुए हैं


मत छूना इन पन्नों को
बुनना सजीले सपनों को
जब हो एक दोस्त की ज़रूरत
मुझसे कहना, जो कुछ भी कहना हो


कितनी ताकत है, वक़्त में
तुम दोस्त हो सच में
ना ही बताना है दुनिया को
ना ही खानी हैं कसमें

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