We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)
Sunday, January 17, 2010
"तुम इश्वर हो"
होंठो पे हँसी तुम हो
तुम हो तो सुन लो
सुन ना सको तो भी रहो
हर पल, हर घड़ी, हर जगह
लेकिन तुम कौन हो
आँखें बंद हैं, और मौन हो
शायद तुम इश्वर हो
हर क्षण, हर मन, लेकिन कहाँ....?
hmmmmmmmmmm
ReplyDeleted
ekho jara nazre uthao wo har jagah hai
sahi kaha....!!!
ReplyDeletepar kabhi kabhi hum unhe kyu dhoondte hain..??