Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Friday, September 28, 2012

फिर लौटे हैं वो लम्हें...Memories are back


फिर लौटे हैं वो लम्हें
यादों की शामों के साथ
फिर एक बार चाहूँ मैं हरदम
छिपना तेरे दिल के पास

छू लो मेरे मन को तुम फिर से
कहनी है तुमसे वो बात
कह न सका तुमसे जो अब तक
अंधियारे सी वो काली रात

महक तुम्हारी मुझमें है अब
कसक तुम्हारी है अज्ञात
ना जाने क्यूँ चाहूँ मैं इतना
हर पल बस तेरा ही साथ

आँखें बंद हैं तो फिर क्यूँ
पकड़ा है तुमने ये हाथ
ना जाना चाहूँ तुमसे अब दूर
सुनलो मेरी बस ये बात

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