Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Saturday, September 20, 2014

तुम्हें सोचा तो When I think of you I smile


अभी अभी
जब यूँ गुमसुम सा बैठा हुआ
तुम्हें सोचा
तो हंसी आ गयी मुझे
अब ये ना पूछना क्यों
बता दूंगा तो डाटोगी
नाराज़ हो जाओगी
और मैं
फिर से हंस पडूँगा
ये जो बातें हैं ना
सहज ही है
बहुत मायने ना भी हों इनके
तो भी इनका कुछ तो मोल है
मुट्ठी भर ही सही
जिसमे समा सकती है सारी दुनिया
मेरे हँसने से
शायद तुम भी मुस्कुरा उठती होगी
है ना?
नहीं! अरे भला क्यों?
तो क्या नाराज़ हो जाती हो
फिर भी मुझे भाती हो
इस समझाने को
खरी खोटी सुनाने को
और मुझे भूल जाने को
क्या समझूँ?
मुझे तो ये कुछ और ही लगता है
जैसे पंख फूलों का महकता है
जीवन-कविता को पूरा करने की शक्ति मिलती है
जैसे श्वास अबाध गति से चलती हैं
कहता रहूँ वो सब कुछ
जो अब तक खुद से ही कहा था
मुझमें छुपा मनुष्य
गुमसुम सा बैठा हुआ था
फिर...

तुम्हें सोचा
तो हंसी आ गयी मुझे


Picture credit:http://demortalz.com/2012/11/22/cute-and-lovely-romantic-love-wallpapers/ 

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© Snehil Srivastava

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