Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Wednesday, September 24, 2014

बारिश की पहली आहट: Resounding rain

इस बहती बयार की
पहली आहट खनकती सी लगी
कि जैसे आँगन में
काले मेघ घिर आये हों
और फिर बारिश की
उन छोटी छोटी बूंदों का
हौले से मिट्टी को भिगो देना
मिट्टी पर उकेरे गये
हर एक निशान को
जब करीब से देखा तो
हृदय में सोंधी सोंधी महक की
करुणामय अनुभूति हुई
वर्षों से सोयी निष्प्राण भूमि
जैसे सुन्दर फूलों से
आच्छादित हो जाती है

प्रत्याशा का सघन रूप
निराशा को क्षीण कर देता है
मेघों की वाणी में
अपनापन दिखाई देता है
तो क्या
इस पहली आहट का सुकून भी
निरंतरता को द्योतक है
या फिर इस बार
ये मेघ ये बयार ये आहट
ठहराव की नयी अभिव्यंजना रचेगी
और ये बारिश
बस यूँ ही होती रहेगी...होती रहेगी।



Picture credit: http://vaishalisudan.blogspot.in/2012/07/first-rain-of-season.html
                         http://notalentforcertainty.com/

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© Snehil Srivastava

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