Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Monday, November 9, 2015

तुम और मेरी कविताएं
You, and my Poems!

मेरी कविताएं तुम सी नहीं ये झूठी हैं, जाने मुझसे क्यों रूठी हैं इनमें मर्म नहीं, करुणा का वास नहीं ये विफल हैं, जीवन की इनमें आस नहीं क्योंकि मेरी कविताएं तुम सी नहीं तुम जल सी निर्मल काया हो तुम वृक्षों की ठण्डी छाया हो इनमें शब्दों का मेल नहीं कि अशरीर सा कोई साया हो तुम सहज मनस्वी सतेज सरल तुमने पिये हैं मृत्यु विष और गरल ये लय में बंधे कुछ बाण सरीखे जिनके हुए ना आज ना कल ये सत्य नहीं, इनका कोई अस्तित्व नहीं इनसे झलकता प्यार नहीं, हाँ तुमसा कोई संसार नहीं ये कोरे पन्नों पर सज धजकर बैठी रहीं किन्तु मेरी कविताएं तुम सी नहीं
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

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