Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Saturday, November 29, 2014

आखिरी चेतावनी
NO MORE rape culture

उसने किया था युद्ध इन्हीं ढोंगी रक्षकों से
बचाने को अपनी अस्मिता, अपना सम्मान
लड़ती रही वो आख़िर तक
हे नीच समाज! नहीं नीचा हुआ उसका मस्तक
उनपर बिफरती हुई चेतावनी दे रही है
कि होकर परास्त-
फट जायेगी ये धरती
और फिर कभी ना संवरेगी

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© Snehil Srivastava

सुलगती कहानियाँ
Dead Mentality

उन जला दिए गए घरों से उठता धुँआ
और चारों ओर बिखरी लाशों के टुकड़े
कल बीत चुकी ज़िन्दगी की
मिट चुकी कई लकीरों की,
सुलगती हुई कहानियाँ कह रही है
कि काश-
कोई होता अपना सा
बंद आँखों का सपना सा

Picture credit: www.wallpapername.com

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Thursday, November 27, 2014

...उदासी मुस्कुरा उठी...
..Smiling Melancholy..

सागर तट पर बैठी हुई
जल और आकाश के मिलन को निहारती
उदासी मुस्कुरा उठी
जल तरंगों की अठखेलियां
रेत का उसके पैरों को सहलाना
और कुछ सुनहरी यादों का सहाय्य
कि जैसे उस चित्रकार और उसकी कूची
का रंगीन खेल खेला जा रहा हो
यथार्थ की बहती नम हवा
मद्धम मद्धम उसके उदास पहनावे को
अपनी गरिमयी कान्ति से
सुखद बनाने को तत्पर हैं
साथ ही कुछ सुफैद और कुछ काली सीपियाँ
अपने खुरदुरे एहसास के श्वास से
जीवित हो उठे हैं
चंद्र किरणों से बना मोती भी
इस प्राकृतिक सौम्यता का साक्षी बन गया है
उदासी जाने कहाँ खो गयी है
किन्हीं रंगों संग
सागर तट पर बैठी हुई
जल और आकाश के मिलन को निहारती
उदासी मुस्कुरा उठी

Picture credit: www.mixcloud.com

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Tuesday, November 25, 2014

रुक भी जा हे तुच्छ मानव!
Earth is dying, so the humanity

इंगित करती हैं भावनायें उन रहस्यों की बानगी
जिनमें छिपा है सार सत्य और पर्दा कभी उठता नहीं
स्वीकारता है तुच्छ मानव अस्तित्व की अंधी दौड़ को
थक हारकर रुकता है फिर, न पाता है अपने ठौर को
बेड़ियों में जकड़कर स्वयं को पाता है वो रोता बिलखता
सत्य क्या है जाने क्या वो, जो असत्य को है सत्य समझता
चलता ही जाता लक्ष्यहीन मानव भय को साथी मानकर
होती कहाँ उसकी विजय है बिन सत्य को पहचानकर

अब खड़ा है वो ऊँचे पर्वतों पर जो अनगिनत रहस्यों से हैं बने
कुछ जड़ हैं तो कुछ खोखलें, जिनमें वो अपनी ही आवाज़ें सुने
धिक्कारती हैं वो उसे हर पाप क्षण को साक्ष्य मानकर
टस से मस होता नहीं वो इस अकाट्य सत्य को जानकर
उसका चरित्र तो रक्तिम ही था ये पर्वतों ने भी माना है
उसके सिवा उसका ही सत्य बस बाकियों ने जाना है
रुक भी जा हे तुच्छ मानव! विष वमन अब छोड़ दे
नहीं करूँगा क्षमा तुझे अब, यदि रोता रहा मेरा हृदय

Picture credit: mynatureonline.blogspot.com

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Friday, November 21, 2014

काश ऐसा मेरा एक गुलिस्तां होता
"Irony Of Life"

बड़ा कारगर होता ग़र मैं ज़रा बईमान होता
पेड़ों को काटा होता तो मेरा भी एक मकान होता
हाथों में भी ख़ुशबू होती ग़र मैंने फूल तोड़े होते
इंसान तो ना सही, हाँ बस थोड़ा हैवान होता
बेख़ौफ़ सबसे रहता अपनी खाली हुकूमत में
पर ये तभी होता, ना मुझ सा जहाँन होता
हर ओर खून बहता जब मेरी कटार चलती
एक एक कतरा बहता ये दिल बेजान होता

रूहानियत ना होती मैं उसके रूबरू होता
इंसानियत ना होती, कितना सुकून होता
मैं उससे सवाल करता इन सारी वजहों की
ज़ालिम खुदा भी अब बेज़ुबान होता
मैं अगला जनम भी लेता इसी हक़ से लेकिन
खुदा जाने 
किसका इसमें एहसान होता?

मुस्कुराता मैं अब तो अपनी शिकस्त पर खुलकर
काश 
मेरा ऐसा एक गुलिस्तां होता




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Wednesday, November 19, 2014

Realm of Love Ocean

"The river of spontaneous thoughts forming a world of emotions tells us the ground reality of our conscience which takes us to the realm of Love Ocean. And we find peace in there. Past becomes past and we do not think about future at all. We live in present. We respect it. And in return, present loves us.
Every tear drop which finds its way straight from your bright eyes to the resounding heart conveys warmness and it converts itself into a little curve, we call it smile from heart. The thoughts, the tears and smile all put together make a life which is destined to reflect its respective purposes and the purpose helps you to think spontaneously."
She held his childhood picture in her hand clinching it the closest to her heart so that he might never leave. She realized warmness in her eyes. Warm tears. She was crying. But past is past. As soon as she knew the reality, his image found its way straight towards her heart. She found him in real. He smiled in his realm of Love Ocean.

Picture credit: tumblr.com

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Monday, November 17, 2014

The edge and beyond

"To intensify the love, one of the most beautiful creation of God, one must reach the edge of compassion without following the rule-book of love. Rules bind you, they stop you to reach the real destination of life.
And to glorify love one have to cross that edge which is filled with abundant memories, few good some bad. Bad memories are the reasons of following the sacred book of love rules. While compassion gives you good memories but the path of this edge and beyond is immense in nature.
Here and there, everywhere you can find the only reason of life; love and if you are true to yourself you can attain peace in its origin, the compassion."

She thought that he is dead but she could not understand what he had achieved whence he left this world full of hatred.
In life she only gave him what he never deserved. After life he got everything beyond the edge.


Picture credit: www.paintingsilove.com

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Saturday, November 15, 2014

रंगीन हथेलियाँ Innocent Colours

इन तमाम रंगों की महक
और इनकी रंगीनियत को
दोनों हथेलियों पर रखकर
तौलने से होता एहसास
रंगों के एकाकीपन को
और उनके सुन्दर मन को
भ्रमित सा कर देता है
उन्हें समझ नहीं पाता
जब तक उनमें तारतम्य बैठे
हर एक रंग अपनी अमिट छाप
छोड़ देना चाहता है
बिना ये जाने कि आखिर
ये कोमल हथेलियाँ चाहती क्या हैं
ये रंग
और भी गहरे होते जाते हैं
गाढ़ा लाल, कुछ कुछ काला
जैसे मरे हुए खून का रंग
जिसे खरोंचने पर
वो नाखूनों में फंस जाया करता है
उसकी ना मिटने वाली इच्छा
अमर हो जाती है
रंगों की महक
और इसकी रंगीनियत
बोझिल सी लगने लगती है
हाँ ये बात और है
कि इन्हीं रंगों से
इंद्रधनुष भी बनता है
पर इसके लिए
मेघों का बरसना
कितना ज़रूरी है
ये कोई इन हथेलियों से पूछे
कभी तो......


Picture credit: www.wallippo.com

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Thursday, November 13, 2014

Mysterious Reasons Of Death


"To be inhuman is far easy than to be a human. It needs great courage to be the later.
When you hear a death of an unknown it may sound nothing. And when you see it, you feel a little pain. But when you are into a death of your loved one you just can't restrain yourself any further to not to cry. That little pain becomes pain of death.
The important thing here is that this phenomenon is totally relative. Emotions are relative too? Your opinion may differ with what I have entrusted. But the essence is same from where I see it. We take birth and death takes us. What we leave here, are the reasons. Happiness happens the same moment as sadness. To get something we need to lose a lot. Nature. The reasons."

And she sobbed. He was always into why of things but she never understood the easiest him, the love, above all nature. Above all reasons. When he was losing the ray of hope towards a better tomorrow she could have saved him a little and saved that tomorrow to become a past. But he lived in his own sadness and in other's happiness.
The reasons were solved, a little.



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Monday, November 10, 2014

मिट्टी सी सोंधी यादें
Childhood Memories Of Relationships

इस बाज़ार की चहल पहल
और ये गुथी हुई सी भीड़
मेरे कानों में बजते संगीत से
सामंजस्य बिठा ही रहे थे
कि अचानक
मैं आवाक होकर
कहीं खो सा गया
शायद उन्हीं यादों में
जिनमें मेरा मन
आज भी रमा हुआ है
भीड़ से अलग
बाज़ार से कहीं दूर
जहाँ खिलौने मिलते हैं
और मिट्टी का गुल्लक भी
और जब गुल्लक में संजोकर
रखे गए सिक्कों की खनक
हृदय से मेल खाती है
तो सरगम शहद की भाँति
मीठा मीठा एहसास कराती है
इन यादों की छाया में
मेरे खिलौनों का एक छोटा सा
पिटारा है, बड़ा ही अनूठा
जिसमें सभी मुझे पाकर
खुश हो जाना चाहते हैं
और मैं उन्हें सजीव होता देख
नम आँखें लिए, हँस पड़ता हूँ


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Sunday, November 9, 2014

किन्तु संपूर्णता Innocent Night

मुझे इस रात का साथ
संपूर्णता के अस्तित्व से
साक्षात्कार कराना चाहता है
वो चाहता है कि मैं
और मेरा अहम्
शुन्य में विलीन हो जाये
परंतु कहीं दूर से आती
इस किरण के निमित्त
शून्यता सहम उठती है
उसकी करुणामयी आँखें
अवसर पाकर
अश्रु आभूषणों से
स्वयं का श्रृंगार करने लगती हैं
सजावट रुपी मिथ्या
किन्तु विराट स्वरुप, भी
रात का साथ पाकर
प्रसन्न हो उठा है
सहज ही इस श्रृंगार की कान्ति
और भी मनमोहक लग उठती है
रात की कालिमा
अभी गतिमान है
और मैं गतिशील
किसी अन्य पूर्णता की ओर
निश्चिन्त!
किन्तु संपूर्णता
रात में है,
गहरी, काली, अधीर हुई रात में

Picture credit: www.wallchan.com

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Saturday, November 8, 2014

आज भी... The Betrayal


तू सयाना तो बहुत है पर इसमें मेरी क्या ख़ता
तेरे लोग तो मुझे आज भी नादान ही कहते हैं

मेरी मोहब्बत को किसी ने आवारगी कहा था कभी
लोग तो मुझे आज भी मोहब्बत में परेशां ही कहते है

तुझे ख़बर भी क्या होगी किस कदर जीता हूँ मैं तेरे बिन
लोग तो मुझे आज भी बिकी दूकान ही कहते हैं

इन लफ़्ज़ों के ज़रिये मेरी तहरीर मोहब्बत बयां करती है
लोग तो तुझे आज भी 'बेवफ़ा' नाम दिया करते हैं


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Friday, November 7, 2014

तो क्या लिखूं What if I write something


अब लिखूं भी तो क्या लिखूं
कोई गीत, कोई कविता
या एक कहानी
भूली बिसरी यादें, वो मीठी बातें
या आँखों का पानी
या फिर लिख दूँ
बीते हुए बचपन को
अपने रीते मन को

आखिर लिखूं भी तो क्या लिखूं
कुछ पराया, कुछ अपना
या एक प्यारा सा सपना
अधूरे रिश्ते, वो अनकहे किस्से
या फूलों का महकना
या फिर लिख दूँ
पराजय में जय की
सरलता हृदय की


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Thursday, November 6, 2014

काश, सफ़र होता मेरा हमसफ़र Soulmate


काश, सफ़र होता मेरा हमसफ़र
मेरे हर कदम पर साथ चलने को
पर्वतों की ऊंचाइयों से भी ऊंचा
सागर की गहराईयों से भी गहरा
काश, ये मन होता सबसे बेखबर
मेरे हर पल का एहसास करने को
मेरे ही साथ जीने को
मेरे ही साथ मरने को
आसमां से भी नीला
पानी सा सजीला
पेड़ों की छांव तले
घनी दोपहरी बीतती
रात को आँखों में
जुगनुओं की रौशनी चमकती
जब हवा बहती संगीत महकता
सरसराकर कानों में नया गीत कहता
पत्थरों की बातें दिल को छू जाती
मुरझायीं कलियाँ फिर से मुस्कुराती
पंछी सदा ही अपनी ठौर पाते
अपने घरोंदों को तिनकों से सजाते
मैं यूँ ही चलता रहता अनंत से मिलन को
भूल जाता सारी रिदय की तपन को
पर काश, सफ़र होता मेरा हमसफ़र



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Wednesday, November 5, 2014

Broken Sea


And she said, "I hate you the most in this world. You have made my life hell whence you stepped into it. I regret being with you in the past. I wish all bad may happen to you."

He replied, "And God is watching us. May God bless.. .. .."
Before he could complete his last sentence she was already gone.
She left him incomplete.

It was raining heavily. He could only hear the water falling apart as if the sea of love was broken into pieces. He was soaked into them. Only he could feel the warmness into his eyes.
They never saw each other after that thunder night.

Since days he has been addicted to something. Something dear to him. It started with a silly incident. In that breath taking pain it gave him inner peace. Since then many changes happened, in his surrounding and in him as well. He learnt to understand what his heart actually wanted to say. He learnt that the world will never adjust itself.
And then this addiction. This is going far beyond his imagination.
He loves his addiction 'to love'.


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Monday, November 3, 2014

अन्तर्द्वन्द्व Conscience and Dilemma


सन्दर्भ अंतर्मन से लेकर
है अंत पथ पर अग्रसर
सुख की अनूूठी खोज से ये
विचलित हुआ हर राह पर
विस्तार की सीमा से पूछा
वो रो पड़ी इस प्रश्न पर
कि कौन है वो तुच्छ मानव
जिसने मिलाया मीठा जहर

क्रंदन को सुनकर ईश बोले
संताप है बस एक पहर
बीत जायेगा सदा ही
क्या मिलेगा चीत्कार कर
ये पथ है कोई अंत नहीं है
कुछ कांटें है बस इस राह पर
जिसने है जाना सार सत्य ये
मिला है मुझसे मोक्ष पर

Picture Credit: www.thegodguy.wordpress.com
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Sunday, November 2, 2014

एक श्वास A drop of life


कहानी है एक श्वास की
श्वास की शुरुआत की
कभी थी मद्धम
कभी थी तेज
कभी था इसमें
मुस्कुराहटों का वेग
जब कभी होती
भूख की अकुलाहट
माँ को हो जाती
अशब्द आहट
थपकियाँ सी लगतीं
नींद भी आती
और फिर हौले से
श्वास की आवाज़ आती
दौड़ता जब मानव
ये चढ़ती अटारी
श्वास से तो देखो
सारी दुनिया ही हारी
समय है निर्मम
कहीं सुना है मैंने
श्वास को ग़र बख्शे
तो क्या इसके कहने
श्वास के ना जाने
कितने प्रसंग हैं
बिन श्वास के ये जीवन
बस कटी पतंग है

आंसू भी हैं इसमें
हंसी भी है होती
यदि श्वास ना होती
ये दुनिया भी ना होती
कहानी है एक श्वास की
श्वास की शुरुआत की


Picture Credit: www.lightworkers.org

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