और सत्य को असत्य कहा जाता है
जो पकड़ा जाये वही चोर
और असली चोर बड़ा महात्मा समझा जाता है
तिजोरियों का सोना रखे रखे यूँ ही सड़ जाता है
और भूखा, भूख से तड़प तड़पकर मर जाता है
कहने को तो नेता सारे जनता ने चुने होते हैं
बाद में उस जनता को कौन कहाँ पहचानता है
जिसके पास है रुपया पैसा वो ही तो है कर्ता धर्ता
बाकियों के कर्म बस ईश्वर ही जानता है
खेतों को खून से सींचे किसान मरे हर रोज यहाँ पर
वो मरे तो मर जाने दो मेरा पेट तो भर जाता है
एक बार तो सच जानो सबकी बारी आती है
किसने यहाँ अमृत पिया है, हर कोई मर जाता है
चाहे जितना लूट लो तुम सब, पर अदना इंसान बेचारा
खाली हाथ ही आता है और खाली हाथ ही जाता है
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava
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