अगर तुम मन ना मिला सके
तो कमसकम हाथ ही मिला लेते
माना मैंने, तुम्हें तुमसे कमतर को छूना
जरा बुरा लगता है। पर इसमें मेरी क्या गलती
मैं तो बस तुमसे वाक़िफ़ होना चाहता था
तुम्हारे मैले मन से। जिसपर गन्दगी की
एक मोटी चमकती परत जमी हुई है
जो साल दर साल
और भी काली होती जा रही है
हाँ एक बार तुमने मुझे
तरह तरह के स्याह होते
मनवालो से मिलवाया था
पर वो सपना तो उसी सुबह
टूटकर बिखर गया था
और मैं तुमसे हाथ मिलाने को
मन का मिलना समझ बैठा
तो कमसकम हाथ ही मिला लेते
माना मैंने, तुम्हें तुमसे कमतर को छूना
जरा बुरा लगता है। पर इसमें मेरी क्या गलती
मैं तो बस तुमसे वाक़िफ़ होना चाहता था
तुम्हारे मैले मन से। जिसपर गन्दगी की
एक मोटी चमकती परत जमी हुई है
जो साल दर साल
और भी काली होती जा रही है
हाँ एक बार तुमने मुझे
तरह तरह के स्याह होते
मनवालो से मिलवाया था
पर वो सपना तो उसी सुबह
टूटकर बिखर गया था
और मैं तुमसे हाथ मिलाने को
मन का मिलना समझ बैठा
-Snehil Srivastava
Picture credit: Tinush - Unreal Love (Original) (Youtube)
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© Snehil Srivastava
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