अभी कोई कहाँ मिला ऐसा
जिससे सब कुछ कहा जाये
जिसमें हो वही सूनापन
जैसे नदिया बहती जाये
किनारे जिसके बच्चे खेलें
और नाव अपना ठौर पा जाये
अभी कोई कहाँ मिला ऐसा
जिससे सब कुछ कहा जाये
जिसमें हो धरती सा धैर्य
संग जिसके जीवन सरल हो जाये
हर कठिनाई खेल लगे
हारा हुआ, जीता माना जाये
अभी कोई कहाँ मिला ऐसा
जिससे सब कुछ कहा जाये
जिसकी छुअन से अंतर्मन भी
फूलों सा खिलता जाये
सुगंध लगे जिसकी मोक्ष की भांति
ईश्वर से अंतिम मिलन हो जाये
अभी कोई कहाँ मिला ऐसा
जिससे सब कुछ कहा जाये
जिसकी बोली में अमृत फूटें
सुनकर हृदय धन्य हो जाये
और रंग सुनहरे ओढ़े वो जब
आकाश धरा मिल एक हो जाएं
अभी कोई कहाँ मिला ऐसा
जिससे सब कुछ कहा जाये
जिससे सब कुछ कहा जाये
जिसमें हो वही सूनापन
जैसे नदिया बहती जाये
किनारे जिसके बच्चे खेलें
और नाव अपना ठौर पा जाये
अभी कोई कहाँ मिला ऐसा
जिससे सब कुछ कहा जाये
जिसमें हो धरती सा धैर्य
संग जिसके जीवन सरल हो जाये
हर कठिनाई खेल लगे
हारा हुआ, जीता माना जाये
अभी कोई कहाँ मिला ऐसा
जिससे सब कुछ कहा जाये
जिसकी छुअन से अंतर्मन भी
फूलों सा खिलता जाये
सुगंध लगे जिसकी मोक्ष की भांति
ईश्वर से अंतिम मिलन हो जाये
अभी कोई कहाँ मिला ऐसा
जिससे सब कुछ कहा जाये
जिसकी बोली में अमृत फूटें
सुनकर हृदय धन्य हो जाये
और रंग सुनहरे ओढ़े वो जब
आकाश धरा मिल एक हो जाएं
अभी कोई कहाँ मिला ऐसा
जिससे सब कुछ कहा जाये
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava
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