और फिर एक दिन मुझे तुम मिली
गहरी आँखों वाली, अल्हड़ सी
तुम्हें देखा नहीं, बस महसूस किया मैंने
सब कुछ सुन्दर था तुममें, पर क्यों थी वो बेबसी
पूछा तो तुमने आँखें बंद कर लीं
तुम्हारी बंद आँखों में थी अनछुई हंसी
तुम्हारी नरम छुअन कुछ अलग है
अपनापन है जैसा कभी मिला ही नहीं
सताना, झगड़ना फिर मनाना
और फिर दूर चले जाना, कि जैसे हम कभी मिले ही नहीं
तुम्हारी महक सोंधी है, बारिश में भीगती मिट्टी सी
करीब होने के डर से तुमने मुझे भिगोया ही नहीं
पर जो भी है सुकून है इसमें, कि जैसे एक शान्त बहती नदी
डूब जाऊं तो भी कोई गम नहीं
एक बात कहूँ, या फिर रहने दूँ
खो जाऊं आसमान में जैसे उड़ता मासूम पंछी
गहरी आँखों वाली, अल्हड़ सी
तुम्हें देखा नहीं, बस महसूस किया मैंने
सब कुछ सुन्दर था तुममें, पर क्यों थी वो बेबसी
पूछा तो तुमने आँखें बंद कर लीं
तुम्हारी बंद आँखों में थी अनछुई हंसी
तुम्हारी नरम छुअन कुछ अलग है
अपनापन है जैसा कभी मिला ही नहीं
सताना, झगड़ना फिर मनाना
और फिर दूर चले जाना, कि जैसे हम कभी मिले ही नहीं
तुम्हारी महक सोंधी है, बारिश में भीगती मिट्टी सी
करीब होने के डर से तुमने मुझे भिगोया ही नहीं
पर जो भी है सुकून है इसमें, कि जैसे एक शान्त बहती नदी
डूब जाऊं तो भी कोई गम नहीं
एक बात कहूँ, या फिर रहने दूँ
खो जाऊं आसमान में जैसे उड़ता मासूम पंछी
और फिर एक दिन मुझे तुम मिली
गहरी आँखों वाली, अल्हड़ सी
गहरी आँखों वाली, अल्हड़ सी
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava
ausom
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