Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Thursday, December 31, 2015

अधूरे किनारे
Unknown edges

मैंने सागर के किनारों को तो नहीं देखा
पर उसकी लहरों का किनारों से मिलना
और मिलकर लौट जाना, मुझे मेरी
भावनाओं से मिलता जुलता लगता है
मेरी भावनाएं विस्तृत हैं, उनका आगार गहरा है
किन्तु किनारे तक पहुँचने की क्षुधा
उसे हर बार खाली हाथ लौटने को
मजबूर कर देती है
हर किनारे मूक होकर इनके अधूरेपन से
खुद को पूरा करते हैं
मेरी भावनाएं कुछ खारी भी हैं
इनमें व्याप्त प्राण इसी कारण से
कसैले होते जा रहे हैं

कहाँ ये सागर, ये लहरें, ये किनारे
और कहाँ ये अधूरी भावनाएं
विस्तार इनका
इन दोनों के अधूरेपन पर
एक अनुत्तरित प्रश्न चिन्ह है


-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

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