रही सही कसर तब पूरी हो गयी
जब जुम्मन मियां की चप्पल चोरी हो गयी
पिछले इतवार को ही सवा रुपये देकर
लाला की दुकान से लाये थे
लाला बोले- जुम्मन मियां, ले जाओ
तुम भी क्या याद करोगे,
कितनी मजबूत चप्पल दी है लाला ने,
दो अढ़ाई बरस कहीं नहीं गए
चाहो तो कोसों नाप लो, घिस जाये तो नाम बदल देना
बेचारे जुम्मन मियां, सर पकड़े बैठे हैं
चप्पल के चोरी हो जाने के गम में
अभी तो पैर में लगा घाव भरा भी नहीं था
अब तो भरने से रहा
डॉक्टर साहब, ऐसी कड़वी दवा देते हैं
की जी मिचला जाता है
अब कहाँ से जोडें इतने रुपये
की नवी जोड़ी लेवें
अम्मीजान वैसे ही, खटिया पकड़े हैं
पानी बरसा नहीं, खेत सूखे पड़े है
गांव में उड़ती उड़ती ख़बर है
कि कोई बाहेरि है, जो माल असबाब चुराकर
खुद ही माल पुआ काट रहा है
जुम्मन मियां रात की पहरेदारी में हैं
इकलौती बकरी को खुले में बांधे हैं
खट्ट की आवाज़ हुई रात के डेढ़ बजे
ये दौड़े की वो दौड़े
और धर लिया चोर को
पता चला ई तो अपना सुखिया है
पर वो चोरी खातिर नहीं आया
चप्पल रखने आया था
अम्मा गलती से पहन गयीं रहीं
बुजर्ग हैं, दिखता नहीं अच्छे से
तो पहले काहे नहीं बताये?
डर गए, कि जुम्मन चाचा गुस्सा करे तो।
माफ़ कर दो चाचा।
सुखिया लौटने लगा।
ढपक ढपक कर,
घाव तो उसके पैर में भी है।
जब जुम्मन मियां की चप्पल चोरी हो गयी
पिछले इतवार को ही सवा रुपये देकर
लाला की दुकान से लाये थे
लाला बोले- जुम्मन मियां, ले जाओ
तुम भी क्या याद करोगे,
कितनी मजबूत चप्पल दी है लाला ने,
दो अढ़ाई बरस कहीं नहीं गए
चाहो तो कोसों नाप लो, घिस जाये तो नाम बदल देना
बेचारे जुम्मन मियां, सर पकड़े बैठे हैं
चप्पल के चोरी हो जाने के गम में
अभी तो पैर में लगा घाव भरा भी नहीं था
अब तो भरने से रहा
डॉक्टर साहब, ऐसी कड़वी दवा देते हैं
की जी मिचला जाता है
अब कहाँ से जोडें इतने रुपये
की नवी जोड़ी लेवें
अम्मीजान वैसे ही, खटिया पकड़े हैं
पानी बरसा नहीं, खेत सूखे पड़े है
गांव में उड़ती उड़ती ख़बर है
कि कोई बाहेरि है, जो माल असबाब चुराकर
खुद ही माल पुआ काट रहा है
जुम्मन मियां रात की पहरेदारी में हैं
इकलौती बकरी को खुले में बांधे हैं
खट्ट की आवाज़ हुई रात के डेढ़ बजे
ये दौड़े की वो दौड़े
और धर लिया चोर को
पता चला ई तो अपना सुखिया है
पर वो चोरी खातिर नहीं आया
चप्पल रखने आया था
अम्मा गलती से पहन गयीं रहीं
बुजर्ग हैं, दिखता नहीं अच्छे से
तो पहले काहे नहीं बताये?
डर गए, कि जुम्मन चाचा गुस्सा करे तो।
माफ़ कर दो चाचा।
सुखिया लौटने लगा।
ढपक ढपक कर,
घाव तो उसके पैर में भी है।
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava
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