दिल यूँ गम से कुछ भर सा गया है
हँसता हुआ चेहरा अब नम पड़ गया है।
अम्बर की सारी नमी आँखों में उतर आई लगती है
चेहरा देखकर ज़माना बिखर सा गया है।
कहना तो चाहता हूँ बहुत कुछ तुमसे
देखकर तुम्हें ये गम फ़ना सा हुआ है।
अब बस भी कर, बहुत हुआ मेरे खुदा
तुझसे कुछ भी कहना काफ़िर ही हुआ है।
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