छोटी छोटी बातों से
बनती हैं बड़ी खुशियाँ
खुशियों का दामन थामे
ही चलती है ये दुनिया
वक़्त के समंदर में डूबकर
कुछ नहीं मिलता
डूबकर, उभरने से
बनी है कई कहानियाँ
कहते कहते, रूककर
मन हार जाता है
हारे हुए मन से
भर जाती हैं ये अँखियाँ
हर राह पर मिल जायेगा
काँटों का समंदर
ढूढ़नी हैं तुम्हें उसमें
फूलों के लड़ियाँ
मिलना, ना मिलना
'उसका' है लेखा जोखा
जो है हाथों में
बस उसपर है हँसना
राख थी, कभी आग
ये जान लो मानव तुम!
खत्म हो जाना नियति है
मिट जानी है वो रतियाँ
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