अभी अभी
याद आया मुझे
वादा तुम्हारा-
मेरा साथ निभाने का
आँखें मूंदें बस
तुम्हारी बाहों में खो जाने का
कंधे पर सर रख
सुकून में बैठ जाने का
तुम्हारा हाथ पकड़े
बस ख़यालों में सो जाने का
मुझसे गले लगकर
रूठ जाने का
नाराज़ होने पर
छूकर, मुझे मनाने का
हर 'उस' वक़्त की नमीं
आँखों से मिटाने का
दूर से पास-
और पास आने का
हर छोटी बात पर
तुम्हारे खिलखिलाने का
बातें करते करते
एकाएक चुप हो जाने का
चुप रह कर भी
बहुत कुछ कह जाने का
तुम्हारा,
मुझे पाकर इतराने का
कोहरे भरी सुबह में
माथे पर पसीने की बूँदें आने का
अधखुली आँखों से
मुझे देखकर, मुस्कुराने का
हर काली खाली रात को
उजाला बनाने का
तुम्हारा - मेरा
और मेरा - तुम्हारा हो जाने का
अभी अभी याद आया मुझे
वादा तुम्हारा...
No comments:
Post a Comment