Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Thursday, December 31, 2015

रुदन और क्रंदन
Cries and Cries

हर रुदन हर एक क्रंदन
में कुछ सामानांतर होता है
कुछ अवस्थाओं पर निर्भर होते हैं
तो कुछ व्यवस्थाओं पर
हाशिये पर लौटा दिए गए
बादशाहों की भांति
कुछ अपने तख्तोताज गंवाते हैं
और कुछ अपने नमित कोरों को
नम ही रहने देना चाहते हैं
उन्हें लगता है कि
ये रुदन अथवा ये क्रंदन
उन्हें उनके भूत से मिलाप को तत्पर है
किन्तु ये अपने हृदय सा
बिलकुल प्रस्तर है
काँट छाँटकर जिसको मूर्त रूप दिया जायेगा
और जिसपर कोई आकर फूल चढ़ाएगा
क्योंकि इनके बीच का अंतर ही
इनके रुदन का कारण है
और इनका सम ही
इनके क्रंदन का


-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

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