Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Tuesday, December 8, 2015

'भावनाएं'
Emotions

दो चार दिनों बाद
भावनाएं भी मर ही जाती है
जो आज है वो कल नहीं था
और जो कल होगा वो आज नहीं है
किन्तु इनमें कुछ तो जुड़ाव है
जो उनमें सामन्जस्य पैदा करता है
हर मरण एक जन्म का द्योतक है
और हर जन्म एक अंत का
भावनाएं इस भवसागर में कभी डूबती है
और कभी उबर जाती हैं
पर भावनात्मक होना
गलत तो नहीं
यदि ये क्रोध हैं
तो प्रेम भी यही हैं
यदि ये ईर्ष्या कहलाती हैं
तो इन्हें ही तो स्नेह कहा जाता है
भय भी यही हैं
अजेय भी यही
यदि इनमे रूप की धूप है
तो इन्हीं में चारित्रिक छाँव है
क्या हुआ, कुछ भावनाएं यदि पूर्ण न हुई
नियति पूर्णता में नहीं
अधूरी सम्पूर्णता में है
दो चार दिनों में,
नयी भावनाएं रुधिर में
एक बार फिर संचरण करेंगी
कोंम्पलें फिर फूटेंगीं
पुष्प खिल जाएंगे
भावनाएं हंसेंगी,
सदा के लिए
होगा कितना विहंगम दृश्य
भव्य अद्भुत अतुलित
-Snehil Srivastava
Picture credit: www.favim.com
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© Snehil Srivastava

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