Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Thursday, December 17, 2015

'थोड़ा सा खून, वो टूटी नींद'
'Little blood that woke me up'

पिछली दफ़ा जब मेरी उंगली कट गयी थी
और तुम झट से डेटॉल की शीशी उठा लायी थी,
सच जानो, इतनी मासूम न तुम उससे पहले लगी थी
और अब शायद लगोगी भी नहीं।
पर इत्ता सा खून बहने पर, वो भी किसी और का,
कोई इस तरह से रोता है क्या?
मासूम हो, माना। बेवक़ूफ़ भी हो क्या?
और फिर खून भी तो दो मिनट में बंद हो गया था
फिर भी तुम मुझे डॉक्टर के पास ले गयी
जैसे मैं कोई छोटा बच्चा हूँ।
तुमने शायद ध्यान नहीं दिया-
डॉक्टर साहब, तुम्हारी बातों पर हंसे जा रहे थे
जब तुमने कहा कि, इमरजेंसी है।
लेकिन मैं नहीं हंसा था, बाद में डांट थोड़े खानी थी मुझे

एक बात पूछूँ, सच बताना-
तुमने मुझे माफ़ कर दिया न, जो मैंने तुम्हें उस दिन बेवजह डांट दिया था
जब तुम्हें बुखार था, और रात को ढाई बजे
तुमने मुझे जगाकर पानी माँगा था।
क्या हुआ जो मैं देर से सोया था, ऑफिस के काम की वजह से
ये थोड़ा सा खून, वो टूटी नींद
कभी कभी जरुरी होते हैं, जताने के लिए, बताने के लिए।
कि कोई है, साथ। हमेशा।

ईश्वर करे, तुम यूँ ही मासूम रहो
और मैं तुमसे कुछ सीख सकूँ।

-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

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