Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Tuesday, December 22, 2015

'तीस्ता'
Teesta

तीस्ता पुकारते थे उसे
उसका जन्म, उसकी मृत्यु तक
एक रहस्य ही रहा
पर कुछ पुराने लोगों का कहना है
कि उसकी पहली झलक से
उनके गांव में
पंछियों का कलरव,
गायों का रंभाना,
खेतों का लहलहाना
वृक्षों को झूम जाना
शुरू हुआ था
उसकी आवाज़ से,
धरती मुस्कुरा उठती थी
उसके चलने से नदी
हाहाकार करने लगती थी
उसके बोल शहद की भांति
मीठे थे। जिनमे दुःख हरने का
अनोखा सत्व था
किसी ने उसे रोता नहीं देखा
एक बार भी नहीं
हाँ एक बार उसने
उदासी की सीमा तक
दौड़ जरूर लगायी थी
और फिर किसी ने उसे
वापस आते नहीं देखा

तीस्ता का जन्म खुशियों का जन्म था
उसका वापस ना आना, खुशियों का जाना था
किसी माँ को विश्वास है,
तीस्ता एक दिन वापस आएगी
इस बार कोई रहस्य नहीं
किसी और रूप में ही सही

तीस्ता शायद एक आम लड़की थी
काश तीस्ता मेरी बेटी होती

-Snehil Srivastava
Picture credit: www.f-covers.com
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© Snehil Srivastava

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