Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Sunday, December 13, 2015

'सही मायने में...'
The real reality

हिम प्रदेश से टप टप कर बहता पानी
जब धरा अपनी अंजुलि में भरती है
और तब मेरा सृजन मुझसे कहता है
कि इन पलों को सहेज लेना ही सही मायने में
जीवन सरिता है

प्रकृति की उत्कृष्टता फूलों का रूप लिए
जब कण कण में महकती है
और तब मेरा जन्म मुझसे कहता है
कि इन पलों को जी लेना ही सही मायने में
सम्पूर्णता है

दसों दिशाएं विभिन्न मार्ग लिए
जब एक दिशा में पहुंचतीं हैं
और तब मेरा मर्म मुझसे कहता है
कि इन पलों को समझ लेना ही सही मायने ने
मार्मिकता है

ठण्ड में फैले कुंहासे से छनकर आती धूप
कुछ गुनगुनी सी लगती है
और तब मेरा अंतर्मन मुझसे कहता है
कि इन पलों की संजों लेना ही सही मायने में
कविता है

-Snehil Srivastava
Picture credit: www.favim.com
(Note- No part of this post may be published reproduced or stored in a retrieval system in any forms or by any means without the prior permission of the author.)
© Snehil Srivastava

No comments:

Post a Comment