Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Thursday, December 31, 2015

अपराध
Crime of innocent

बीते दिनों एक वाकया हो गया
एक गरीब के हाथों एक अपराध हो गया
वो गांव से शहर गुड़ बेचने आता था
और सड़क किनारे अपनी छोटी सी ठेलिया लगाता था
उसके घर में माँ बाप, भार्या और तीन छोटे बच्चे थे
जीवन तो क्या कहें पर मन सबके सच्चे थे
तनिक सी आय में बसर करना मुश्किल था
गरीब क्या करता, वो आखिर किस काबिल था
और फिर एक दिन, उसने अपनी ठेलिया बेच दी
गांव छोड़ शहर में बसने की सोच ली
मन में ठाना कि एक दिन सब ठीक हो जायेगा
और तब सारा परिवार सुख की बंसी बजायेगा
धीरे धीरे समय बीता, पर कुछ भी था न बदला
गांव छोड़ शहर आकर भी है आज तक कोई संभला?
अपराध बहुत से होते हैं, पर मिट्टी तो अपनी माँ है
जो सुख अपने गांव में है, वैसा सुख और कहाँ है?


-Snehil Srivastava
Picture credit: www.flicker.com
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© Snehil Srivastava

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